सार
Poll Strategy: भाजपा से जुड़े नेताओं का कहना है कि उनकी पार्टी ने अगले साल होने वाले अलग-अलग राज्यों के चुनावों को लेकर न सिर्फ नीतियां बनानी शुरू कर दी हैं, बल्कि बीते कई महीनों से संगठनात्मक स्तर पर पूरा ढांचा दुरुस्त कर उसका फीडबैक भी लेना शुरू किया जा चुका है...
विस्तार
अगले साल होने वाले राजस्थान और मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों के चुनाव में भाजपा से लेकर कांग्रेस पार्टी ने अपने-अपने दांव से चुनावी चौसर सजानी शुरू कर दी है। भाजपा जहां गुजरात में मिली एतिहासिक जीत के साथ उत्साह में हैं। वहीं कांग्रेस भी हिमाचल प्रदेश में भाजपा को सत्ता से बाहर कर अपनी जीत पर इतरा रही है। जानकारों का मानना है कि फिलहाल दोनों पार्टियों को मिली अलग-अलग राज्यों की जीत ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में नई ऊर्जा तो भर ही दी है। वहीं दोनों पार्टियां गुजरात और हिमाचल के अपने-अपने फॉर्मूले को अगले साल होने वाले चुनावों में इस्तेमाल करने वाली हैं।
अगले साल होने वाले राजस्थान, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के चुनाव भाजपा और कांग्रेस पार्टी के लिए महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि हिमाचल प्रदेश और गुजरात में हुए चुनावों से उत्साहित दोनों पार्टियां अपने-अपने अनुभवों से इन प्रमुख पांच राज्यों समेत उत्तर-पूर्व के चार राज्यों और अगर जम्मू-कश्मीर में चुनाव होता है, तो उसकी तैयारियों में लग गई है। राजनीतिक विश्लेषक हरिओम ठाकुर कहते हैं कि भाजपा ने अपनी कसी हुई रणनीति से जिस तरीके से 27 साल से चल रही सत्ता में जबरदस्त पकड़ बनाते हुए एक बार फिर से गुजरात में सरकार बनाई है, वह पार्टी के हर कार्यकर्ता का मनोबल बढ़ा रही है।
संगठन स्तर पर फीडबैक लेना शुरू
उनका कहना है कि भाजपा ने सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए गुजरात में जो इतिहास रचा उसके पीछे जबरदस्त रणनीति ही रही है। इसमें सबसे अहम रणनीति का हिस्सा एक चौथाई नेताओं को दोबारा टिकट न देने से लेकर जनता के बीच मोदी के चेहरे और विश्वास का भुनाना शामिल है। भाजपा से जुड़े नेताओं का कहना है कि उनकी पार्टी निश्चित तौर पर इस जीत के फॉर्मूले के आधार पर अन्य राज्यों में भी चुनाव की तैयारी कर रही है। हालांकि सियासी जानकारों का कहना है कि दक्षिण के राज्यों में मोदी के चेहरे के साथ भाजपा को स्थानीय चेहरों को भी आगे करके चुनावी मैदान में उतरना ही होगा।
भाजपा से जुड़े नेताओं का कहना है कि उनकी पार्टी ने अगले साल होने वाले अलग-अलग राज्यों के चुनावों को लेकर न सिर्फ नीतियां बनानी शुरू कर दी हैं, बल्कि बीते कई महीनों से संगठनात्मक स्तर पर पूरा ढांचा दुरुस्त कर उसका फीडबैक भी लेना शुरू किया जा चुका है। वह कहते हैं कि कर्नाटक और तेलंगाना समेत छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में भाजपा ने बहुत प्रभावशाली तरीके से चुनाव की रणनीति और तैयारियां शुरू कर दी हैं। वह कहते हैं कि भाजपा को 2018 के चुनावों में कर्नाटक और मध्यप्रदेश में सत्ता तो नहीं मिली थी, लेकिन राजनीतिक परिस्थितियों के चलते बाद में भाजपा की सरकार बनी। इसलिए भाजपा को इस बार इन चुनावों में अलग रणनीति के साथ ही मैदान में उतरना होगा।
'मुद्दों को आगे' करके लड़ेंगे चुनाव
अगले साल होने वाले चुनावों के लिए सिर्फ भाजपा ही नहीं, बल्कि कांग्रेस भी उसी तरीके की रणनीति बना रही है। कांग्रेस से जुड़े वरिष्ठ नेता बताते हैं कि हिमाचल प्रदेश में जिस तरीके से 'मुद्दों को आगे' करके और लोगों को सीधे तौर पर उनसे जोड़कर के चुनाव लड़ा गया, उसी पैटर्न पर अगले साल होने वाले विधानसभा के चुनाव में उतरेंगे। हालांकि अगले साल जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, उसमें छत्तीसगढ़ और राजस्थान में तो कांग्रेस की सरकार भी है। जबकि 2018 के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार बनी थी। कर्नाटक में भी राजनीतिक समीकरणों के चलते कांग्रेस की सरकार बनी थी। राजनीतिक विश्लेषक त्रिभुवन चंद शर्मा कहते हैं कि 2018 में हुए विधानसभा के चुनावों में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और राजस्थान में कांग्रेस को पसंद तो किया गया था। अब इस बार के चुनावों में क्या कांग्रेस को वहां की जनता पसंद करती है, यह देखने वाली बात होगी। शर्मा कहते हैं कि अगले साल होने वाले चुनावों में कांग्रेस अपने हिमाचल मॉडल के साथ सियासी मैदान में जाने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस पार्टी से जुड़े वरिष्ठ नेता भी बताते हैं कि हिमाचल में जिस नीति और मुद्दे के साथ मैदान में उतरे वह उसको अगले साल होने वाले विधानसभा के चुनावों में फायदा भी पहुंचाएगा।
नॉर्थ-ईस्ट के लिए बड़ी तैयारी
वहीं दूसरी ओर नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में होने वाले चुनावों को लेकर भाजपा और कांग्रेस ने भी कमर कस ली है। त्रिपुरा भाजपा के नेताओं के साथ गृह मंत्री अमित शाह की हाल में ही बड़ी बैठक हुई है। वहीं कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं ने भी नॉर्थ ईस्ट के अलग-अलग राज्यों के नेताओं के साथ चुनावी रणनीति बनानी शुरू कर दी। कांग्रेस और भाजपा अगले साल होने वाले नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा और मेघालय के चुनावों में अपनी बढ़त हासिल करना चाहती है। यही वजह है कि भाजपा केंद्र की योजनाओं को लेकर नार्थ ईस्ट के राज्यों में अपनी पैठ बना रही है। जबकि कांग्रेस अपने पुराने संगठन और पुरानी मजबूती के साथ इन्हीं राज्यों में सरकार बनाने के लिए सियासी जमीन तैयार कर रही है।
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