Bhai Dooj Vrat Katha: भाई दूज पर भाई की लंबी उम्र के लिए बहनें जरूर पढ़ें ये व्रत कथा!
bhai dooj 2024: : भाई दूज का त्योहार भाई और बहन के पवित्र बंधन का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं और भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं. इस पर्व से जुड़ी एक अद्भुत कथा है जो भाई-बहन के प्यार और त्याग को दर्शाती है.
यमुना जी को अपने भाई यम से बड़ा लगाव था. वे अपने भाई यम से बार बार निवेदन करती रहती थी कि वे अपने इष्ट मित्रों के साथ उनके घर आकर भोजन करें, लेकिन अपने काम में अधिक व्यस्त होने के कारण यमराज जी बहन यमुना की बात को टालते रहते थे. एक बार कार्तिक शुक्ल पक्ष का दिन था. यमुना जी ने अपने भाई को भोजन के लिए अपने घर आने का निमंत्रण दिया. इस बार यमुना जी ने भाई यम से वचन ले लिया था कि वे उनके घर आकर भोजन करेंगे.
यमराज ने सोचा कि मैं तो मृत्यु का देवता और प्राणों को हरने वाला हूं. मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता. लेकिन बहन ने जिस सद्भावना और प्रेम से मुझे बुलाया है, उसका पालन करना अब मेरा धर्म है. बहन के घर जाते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया. भाई यम को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. यमुना ने स्नान कर पूजा करके तरह तरह के व्यंजन परोसकर भाई यम को भोजन कराया. यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज अति प्रसन्न हुए और उन्होंने बहन यमुना से वर मांगने को कहा.
तब यमुना ने अपने भाई यम से कहा कि भैया, मैं आपसे ये वरदान मांगना चाहती हूं कि मेरे जल में स्नान करने वाले नर-नारी कभी भी आपकी नगरी यमपुरी में न जाएं. यमराज जी के लिए बहन को ये वरदान देना बड़ा कठिन था, क्योंकि इस वरदान को देने से यमराज की यमपुरी का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता और पृथ्वी पर अत्याचार फैलने लगता. भाई को दुविधा में पड़ा देखकर यमुना जी बोली- आप चिंता न करें, आप मुझे यह वरदान दें कि जो भी भाई हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि के दिन बहन के घर आकर भोजन किया करें, और इस मथुरा नगरी स्थित विश्राम घाट पर बहन के साथ स्नान करें वह तुम्हारे लोक न जाएं.
तब यमराज जी ने तथास्तु कहकर बहन को वरदान दिया और कहा कि इस तिथि को जो भी भाई अपनी बहन के घर भोजन नहीं करेंगे उन्हें मैं बांधकर यमपुरी को ले जाऊंगा और तुम्हारे जल में स्नान करने वाले भाई बहन को स्वर्ग की प्राप्ति होगी. बहन यमुना को ऐसा वरदान देकर और अनेक अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमराज जी ने अपनी नगरी यमपुरी की ओर प्रस्थान किया. मान्यता है कि तभी से भाई-बहन के पावन रिश्ते का त्योहार, भाई दूज मनाने की परंपरा चली आ रही है.
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