देवउठनी एकादशी 2025: देवउठनी एकादशी पर जरूर करें ये आसान उपाय, घर में होगी बरकत और भागदौड़
सार
देवउठनी एकादशी 2025: हिंदू धर्म में 24 एकादशियों में देवउठनी को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। सिद्धांत यह है कि इस दिन भगवान विष्णु की योग निद्रा से जगते हैं और सृष्टि की आज्ञा कायम रहती है। इसी के साथ चातुर्मास का समापन भी होता है।
देवउठनी एकादशी 2025: हिंदू धर्म में 24 एकादशियों में देवउठनी को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। सिद्धांत यह है कि इस दिन भगवान विष्णु की योग निद्रा से जगते हैं और सृष्टि की आज्ञा कायम रहती है। इसी के साथ चातुर्मास का समापन भी होता है। वहीं इस दिन से शुभ मंगल कार्य भी प्रारंभ हो जाते हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, देवउठनी एकादशी पर घर में तुलसी विवाह भी किया जाता है, जो सुख-सौभाग्य का प्रतीक है। इस दिन विष्णु जी की पूजा- भगवान विष्णु का दान करने से प्रभु की कृपा होती है। यह दिन महिलाओं और किशोरों के लिए भी माना जाता है। इस तारीख पर कुछ खास उपाय करने से रिश्ते में प्यार और विश्वास बढ़ता है। यही नहीं देवी लक्ष्मी का वास भी घर में होता है। ऐसे में आइये इन उपायों के बारे में जानते हैं।
देवउठनी एकादशी 2025
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 1 नवंबर से 9 बजकर 11 मिनट पर प्रारंभ होगी।
दिनांक का समापन अगले दिन यानि 2 नवंबर को प्रातः 7 बजे 31 मिनट पर है।
तारीख के अनुसार 1 नवंबर 2025 को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी।
धार्मिक विद्वानों के अनुसार देवउठनी एकादशी पर पीले रंग के वस्त्र उद्योग शालिग्राम जी, तुलसी जी की पूजा करें। इस दौरान पीले आसन पर तुलसी जी की आरती करें। यह अत्यंत शुभ होता है। इसी तरह के रिश्ते में प्रेम और विश्वास बढ़ता है।
इस दिन आप पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं। इसके बाद सात बार ट्री की प्रशंसा करें। सिद्धांत यह है कि इससे ऋण व दोष जैसे ही समाप्त होते हैं।
देवउठनी एकादशी की शाम घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं। इस दौरान घर में विष्णु-लक्ष्मी की पूजा भी करें और 'प्रणत क्लेनाशाय गोविंदाय नमो नम:॥' मंत्र का स्मरण करें। इससे जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। साथ ही बरकत होती है।
इस दिन भगवान विष्णु को नीव का भोग लगाना चाहिए। इस दौरान आप पंजीरी का भोग लगाएं। तुलसी के पत्ते अवश्य शामिल करें। इससे वह आकर्षक होती हैं। साथ ही लंबे समय से अटके काम पूरे होते रहते हैं।
देवउठनी एकादशी के दिन घर में तुलसी विवाह का आयोजन करें। यह अत्यंत किशोरवय होता है। इससे कन्यादान के समान फल प्राप्त होता है। यही नहीं घर में देवी का वास भी रहता है।







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