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बिहार चुनाव 2025: अब सीएम नीतीश कुमार ने बताया, पहले कैसे हुआ था चुनाव; कैसे बदला गया

 


बिहार चुनाव 2025: अब सीएम नीतीश कुमार ने बताया, पहले कैसे हुआ था चुनाव; कैसे बदला गया


सार

बिहार: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अब दूसरी बार अपने मन की बात कही है। इस बार उन्होंने 2005 से पहले होने वाले चुनाव की चर्चा की है। फिर यह भी कहा कि वर्ष 2005 से पहले की सरकार ने यहां बैक, अति बैक बैक, आधार जाति-जनजातियों के लिए कुछ नहीं किया था।

विस्तार

बिहार में वर्ष 2005 से पहले सरकार ने पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग, फुटबॉल वर्ग-जन जाति, दलित-महादलित, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और समाज के तबकों के हितों के लिए कोई काम नहीं किया। न तो उन्हें मान-सम्मान दिया गया और न ही शासन में उन्हें किसी तरह की कोई महत्वपूर्ण भागीदारी दी गई। इन सभी कलाकारों के बच्चे-बच्चियों में शिक्षा का घोर अभाव था, लेकिन जिस वक्त जिन लोगों की सरकार थी, उन्होंने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। समाज के इन तबकों के लोगों में गरीबी और बेरोजगारी जनसंख्या जा रही थी लेकिन इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया। चुनाव के वक्त जब वोट लेने की बारी आती थी, तो वोट देने का वादा कर और धमाका कर लाठी के बल पर वोट ले जाते थे और सरकार बनने के बाद सत्ता में बैठे लोग खुद को मालिक का संकेत देते थे और राजनीति में सिर्फ अपने परिवार के लोगों को आगे बढ़ाने में लगे रहते थे।



24नवंबर 2005 को राज्य में जब नई सरकार का गठन हुआ, तो हम लोगों ने न्याय के साथ विकास के सिद्धांत पर एक साथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया। हम लोगों ने पूरे बिहार को अपने परिवार के साथ मिलकर सभी तबकों के विकास के लिए काम किया है। समाज में बैंकों, उद्यमों और जनजातियों पर केंद्रित लोगों के प्रस्तावों के लिए विशेष कार्य पूछे गए हैं। इन परिवार के बच्चों-बच्चों को अच्छी शिक्षा, युवाओं को नौकरी और रोजगार तथा समाज में उनके मान और सम्मान का पूरा करने की प्रार्थना की गई


मुझे वह दिन याद है- जब वर्ष 1993 में बिहार में अति पिछड़ों और पिछड़ों को एक वर्ग में फिल्म की साजिश हो रही थी। टैब में मैंने स्पष्ट रूप से इसका विरोध किया और बिहार में बिल्कुल स्पष्ट शब्दों में कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर जी ने जो नीति लागू की है उसमें अगर कोई छेड़छाड़-छाड़ होगी और अगर कोई बदलाव करने की कोशिश होगी तो हर स्तर पर इसका विरोध किया जाएगा।



बाद में वर्ष 2006 में हम लोगों ने 20 प्रतिशत नामांकन के लिए अतिपिछड़े वर्ग के लिए सार्वजनिक क्षेत्र में सार्वजनिक प्रकाशन का आयोजन किया। वहीं वर्ष 2016 में राज्य की नॉशिक सेवा में 21 प्रतिशत और पिछड़ा वर्ग के लिए 12 प्रतिशत नॉटिल वर्ग के लिए प्रत्यक्ष प्रक्षेपण किया गया था। इसके साथ वर्ष 2007-08 में बैक वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग के लोगों के विकास के लिए फ़्लैट वर्ग एवं अति अल्प वर्ग कल्याण विभाग का गठन किया गया। वित्तीय वर्ष 2008-09 में समृद्धि वर्ग और अति औसत वर्ग विभाग का वार्षिक बजट अनुमान 42.17 करोड़ रुपये था, जो अब 2025-26 में 1900 करोड़ रुपये हो गया है। अति पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में जननायक कर्पूरी ठाकुर के स्टूडियो का निर्माण कराया गया है, जहां लगभग 4,500 छात्र निःशुल्क शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसके अलावा 2018 से कृषक जाति एवं जनजाति वर्ग तथा अल्पावधि वर्ग के छात्र-छात्रों के लिए आश्रम वर्ष एवं निःशुल्क अभ्यर्थियों का निर्माण, अनुदान एवं कृषकों तथा युवा-युवतियों को सिविल सेवा प्रोत्साहन, ग्राम परिवहन एवं छात्रवृत्ति योजना का लाभ दिया जा रहा है।


हम लोगों की सरकार ने राज्य में मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना के तहत जाति एवं जनजाति वर्ग के 33 हजार 644 तथा अति पिछड़ा वर्ग के 11 हजार 360 युवाओं को रोजगार के लिए वाहन परमिट का अनुदान दिया है। वहीं, सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत वर्ष 2018 से बिहार लोक सेवा आयोग एवं संघ लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा पास करने वाले उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए क्रमशः 50 हजार रुपये एवं एक लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। इसके अंतर्गत राज्य में अब तक जनजाति एवं जनजाति वर्ग के 4,113 बंजर भूमि तथा अति पिछड़े वर्ग के 6,170 बंजर भूमि को प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। इसी प्रकार वर्ष 2018 में जननायक कर्पूरी ठाकुर जी की जयंती पर निर्णय के बाद अति पिछड़ा वर्ग के युवा-युवतियों को भी मुख्यमंत्री योजना का लाभ दिया जा रहा है। इसके तहत उन्हें अपने उद्यम के लिए 10 लाख रुपये तक की सहायता राशि दी जा रही है, जिसमें 5 लाख रुपये का अनुदान और शेष 5 लाख रुपये का ब्याज मुक्त ऋण दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री जनसंपर्क योजना के तहत अब तक 40,462 युवा-युवतियों को लाभ दिया जा चुका है, जिसमें 13,664 अति पिछड़ा वर्ग के 9,855 और ऊपरी जाति-जनजाति वर्ग के 8,324 युवा शामिल हैं।



वर्ष 2005 से पूर्व राज्य में 8वीं और 10वीं कक्षा तक कम क्षमता के क्वार्टर 66 ज्वालामुखी जाति एवं जनजाति जनजाति आवासीय विद्यालय थे, जहां संगम की स्थिति अत्यंत ही स्थिर थी। इन सभी आश्रम आश्रमों में 10+2 में प्रत्येक की क्षमता 720 कर दी गई। इन पुराने आश्रमों में 45 आश्रमों का नया भवन बनाया गया है। इसके अतिरिक्त वर्ष 2021 में 70 नए आश्रम आश्रम के निर्माण का निर्णय लिया गया, जिसमें अधिकांश निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। राज्य में अब आबाद आश्रम की कुल आवास क्षमता 84,240 हो गई है। इसी प्रकार से वर्ष 2021 में राज्य के सभी आरोहण में एवं अतिपिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए संचालित आवासीय आश्रम को भी 10+2 में उत्क्रमित किया गया। कोटा राज्य के सभी आचल में एक-एक और पटना जिले में दो और अतिपिछड़े प्लाजा वर्ग में आवासीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं।



वर्ष 2023 में राज्य में जाति आधारित गणना की गई, जिसमें लोगों की आर्थिक स्थिति की भी जानकारी ली गई। इसमें 94 लाख गरीब परिवार पाये गये, जिसमें अपर कास्ट, फ़्लैट-अतिपिछड़ा, महादलित और मुस्लिम समुदाय के लोग भी शामिल हैं। इन लोगों के रोजगार अभियान के तहत 2 लाख रुपये की दर से सहायता राशि दी जा रही है।


इसके साथ ही आधारभूत जाति/जनजाति, पिछवाड़ा एवं अतिपिछड़ा कला में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए छात्रवृति योजना भी चलायी जा रही है। कक्षा 1 से 10 तक की छात्राओं को कुल 7,200 रुपये मिलते हैं। वहीं कक्षा 11 से लेकर उच्च शिक्षा तक अध्ययनरत फ़्लैम वर्ग एवं अत्यंत फ़्लैट वर्ग के छात्र-छात्राओं को 2,000 रुपये से 4 लाख रुपये तक की छात्र वृत्ति की सुविधा मिल रही है। जबकि इन टुकड़ों में रह कर पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्रों को 1000 रुपये प्रतिमाह दिए जा रहे हैं। वर्ष 2024-25 में 226.78 करोड़ रुपये का कारोबार बदला गया है। इसी तरह से भूकंपीय जाति एवं जनजाति जनजाति मेधावृत्ति योजना के तहत इन वेल्क्रो के छात्रों को प्रथम श्रेणी से 10,000 रुपये तक की दर से 10,000 रुपये और द्वितीय श्रेणी से प्रशिक्षण प्राप्त होने पर 8,000 रुपये मिलते हैं। यह छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है, उन्हें अनुमति देता है और उन्हें आत्मनिर्भर बनाता है। साथ ही उपकरणों में रह रहे हैं पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को 1,000 रुपये दिए जा रहे हैं। इस साल के बजट में इस राशि को दोगुना कर 2,000 रुपये का प्रोविजन किया गया है। इस वर्ष के बजट में जनजाति वर्ग के कल्याण के लिए 19,648.86 करोड़ रुपये का बजट अनुमान लगाया गया है, जबकि चतुर्थ जनजाति वर्ग के लिए 1,735.04 करोड़ रुपये का बजट अनुमान लगाया गया है।



हमलोगों ने वर्ष 2008 में ही महादलित समुदाय के लोगों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए महादलित विकास मिशन की स्थापना की और राज्य भर में विकास मित्रों की नियुक्ति की गयी, जो सरकार की विकास योजनाओं का लाभ समाज के वंचित वर्गों तक आज भी पहुंचा रहे हैं। फिलहाल राज्य में लगभग 10 हजार विकास मित्र कार्यरत हैं। अभी हाल ही में विकास मित्रों का मानदेय 13,700 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया है तथा टैबलेट खरीदने के लिए एकमुश्त 25,000 रुपये दिये गये हैं। इसके अलावा परिवहन भत्ते में 600 रुपये की वृद्धि की गई है, जो 1,900 रुपये से बढ़कर 2,500 रुपये प्रतिमाह हो गया है। साथ ही स्टेशनरी भत्ते में भी 600 रुपये की वृद्धि की गयी है, जो 900 रुपये से बढ़कर 1,500 रुपये प्रतिमाह हो गया है। इसके साथ ही शिक्षा सेवकों को स्मार्टफोन खरीदने हेतु 10,000 रुपये की राशि दी गयी है और शिक्षण सामग्री खरीदने की राशि को 3,405 रुपये से बढ़ाकर 6,000 प्रति केंद्र प्रतिवर्ष किया गया है। इसी प्रकार से वर्ष 2009 में जनजाति समाज के विकास हेतु समेकित थरूहट विकास के कार्यक्रम चलाये गये। इसके तहत आवासीय विद्यालयों एवं छात्रावासों का निर्माण कराया गया तथा जनजाति समुदाय के युवाओं को रोजगार हेतु प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही, वर्ष 2014 में अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए ’स्वाभिमान बटालियन’ का गठन किया गया, जिसका मुख्यालय पश्चिमी चंपारण में है।


राज्य में पिछड़ा, अति पिछड़ा, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, दलित-महादलित, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और समाज के वंचित तबकों की तरक्की के लिए हमलोगों ने जो काम किए हैं, उसे आपलोग याद रखिएगा। आगे भी हमलोग ही काम करेंगे। हमलोग जो कहते हैं, उसे पूरा करते हैं।

जय बिहार!



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