Ravi Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत में भोलेनाथ को ऐसे करें प्रसन्न, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और सब कुछ
Ravi Pradosh Vrat 2024 Date and Time: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. भगवान शिव को समर्पित यह व्रत महीने में दो बार रखा जाता है. कहते हैं कि इस व्रत में भगवान शिव की विधि विधान से पूजा अर्चना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
Ravi Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है. यह व्रत हर मास की शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत महीने में 2 बार आता है और साल में 24 प्रदोष व्रत होते हैं. सितंबर महीने का प्रदोष व्रत रविवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए यह रवि प्रदोष व्रत कहलाएगा. मान्यता है कि इस दिन पूरे श्रद्धा भाव से व्रत का पालन करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
रवि प्रदोष व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त (Ravi Pradosh Vrat 2024 Tithi Aur Shubh Muhurat)
हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 15 अगस्त की रात में 01 बजकर 42 मिनट पर शुरू होगी. त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में होती है. इसलिए इस माह 15 सितंबर, रविवार के दिन प्रदोष व्रत किया जाएगा.
रवि प्रदोष व्रत पूजा विधि (Ravi Pradosh Vrat Puja Vidhi )
प्रदोष व्रत की पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर साफ वस्त्र धारण करें. उसके बाद व्रत का संकल्प लेने केबाद घर के मंदिर की साफ सफाई कर लें. एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भोलेनाथ की मूर्ति स्थापित करें. फिर गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और चीनी के पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक करें. फिर शुद्ध जल से शिवलिंग को स्नान कराएं. उसके बाद फूल , माला बेलपत्र सफेद फूल, धतूरा और भांग आर्पित करें. उसके बाद धूप और दीप जलाकर शिव मंत्रों का जाप करं. पूजा करने के बाद धूप-दीप जलाकर आरती करें. उसके बाद प्रदोष व्रत की कथा पढ़े और सुनें. मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न होते हैं. जिससे व्यक्ति के जीवन में हमेश खुशहाली बनी रहती है.
रवि प्रदोष व्रत का महत्व (Ravi Pradosh Vrat Significance)
रवि प्रदोष व्रत व्यक्ति के कल्याण के लिए और बहुत ही शुभ और मंगलकारी माना जाता है. मान्यता है कि पूर्ण श्रद्धा और विधि विधान के अनुसार को कोई भी इस व्रत को करता है और इस व्रत की कथा को पढ़ता या सुनता है तो उसपर भगवान शिव की कृपा बरसती है जिसके परिणामस्वरूप उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसके जीवन में सुख व समृद्धि भी आती है. कईं जगह इस दिन भगवान शंकर के नटराज रूप की भी पूजा की जाती है.
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